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हिंदी कहानियां - भाग 68

बादशाह अकबर अपने कुछ दरबारियों के साथ नौका विहार के लिये गये। जब नौका नदी के बीचों-बीच पहुंची तो बादशाह को मजाक सुझा।


अकबर ने बीरबल सहित अपने दरबारियों को एक तिनका दिखाया और बोले, “जो इस तिनके के सहारेे नदी पार कर लेगा, उसे मैं एक दिन के लिए बादशाह बना दूंगा।”

बीरबल बोला, “यह काम मैं काम कर सकता हूं मगर बादशाह बनने के बाद।”

बादशाह अकबर बोले, “ठीक है! आज के दिन के लिए मैं तुम्हे बादशाह बनाता हूं।”

बीरबल तिनका लेकर नदी में कुदने को तैयार हुए। कुदने से पहले उन्होनें अंगरक्षकों से कहा, “इस समय मेैं बादशाह हूँ, तुम अपने कर्तव्य का पालन करो।”

यह सुनते ही अंगरक्षकों ने बीरबल को पकड लिया और बोले, “आप बादशाह हेै इसलिए हम आपको आपकी जान-जोखिम में ड़ालने वाला काम नहीं करने देंगे।”

बीरबल ने काफी जद्दोजहद की मगर अंगरक्षकों ने उन्हें नहीं छोडा, इतने में नौका दूसरे किनारे पर जा लगी।

बादशाह अकबर बोले, “बीरबल! तुम हार गये।”

“हार कहां गया जहांपनाह, इस तिनके के सहारे ही तो मेैंने नदी पार की, यह अगर मेरे पास नहीं होता तो मैं बादशाह नही होता और अंगरक्षक मुझे नदी में कुदने से भला क्यों रोकते?”, बीरबल ने कहा।

बादशाह अकबर हंसकर बोले, “बीरबल तुमसे जीतना सचमुच बहुत मुश्किल काम है।

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